दिल को दिल की बात बता दो,
भाव को सागर का पता दो,
कल्पना को अंबर दिखा दो,मीत प्रीत के गीत सुना दो!
तोड़ मैं नाचू बंधन सारे,
झूम को मेरे मीत तू गा रे,
मन को मन की बात मना दो,
मीत प्रीत के गीत सुना दो!
तूने सबको प्यार दिया है ,
सपनों का संसार दिया है,
सपनों को आधार दिला दो,
मीत ! प्रीत के गीत सुना दो!
मैंने भी कुछ गीत लिखे हैं,
अश्कों से संगीत दिए हैं,
गाने की तरकीब बता दो,
मीत ! प्रीत के गीत सुना दो!
मैं ना रहूंगा तुम ना रहोगे,
दृग ना रहेगा दिल ना रहेगा,
तब भी दिल की बात रहेगी,
मीत ! प्रीत के गीत सुना दो!
विनय बोधिसत्व...✍
मोहवत छपरा
पूर्वी चंपारण (बिहार)
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गुस्सा नहीं परेशान हूं
क्योंकि पत्थर नहीं इंसान हूं
आजाद हो तुम जाओ जहां जाना चाहती हो
तुम मुझे भूल गई या आजमाना चाहती हो
मैं तेरे इंतहा के काबिल नहीं मेरी चश्मा
क्यों तुम मुझे इस तरह आजमाना चाहते हो
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