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2.10.2019

धन्यवाद कहना भुल गया था


जब मै पांचवीं का छात्र था। उन दिनों हम लोग उत्तर प्रदेश के मुगलसराय मे रहते थे। हर दिन स्कुल आने-जाने के लिए रेलवे ट्रैक से हो के गुजरना होता था। लौटते वक्त कोई न कोई मित्र साथ होता।

               एक दिन घर आते समय दोस्त से बात करने मे इतना मशगूल हुआ की ध्यान ही नही रहा की कब  रेलवे ट्रैक आ गया। हम दोनो न जाने किस मस्ती मे खोए हुए चले जा रहे थे। दोस्त आगे निकल गया। मै थोड़ा सा पीछे रह गया था, तभी किसी ने शर्ट पकड़कर पीछे खींच लिया। हड़बड़ाकर देखा तो सामने के ट्रैक से ट्रेन गुजर रही थी। एक पल की भी देर होती तो जिन्दगी से हाथ धो बैठता। दूर, दोस्त खड़ा होकर ये सब मंजर देख रहा था और मै खुद को बचाने वाले व्यक्ति को।
               वे स्थानीय स्टेशन पर तैनात रेलवे कर्मचारी थे। गुस्से मे लाल-पीला होकर उन्होंने कहा, 'कुछ ध्यान नही है कि कहां सड़क खत्म हुई, कब रेलवे ट्रैक आया और किस तरफ से ट्रेन आ रही है? आज तो घर की जगह कहीं और पहुंच गए होते...!' इसके बाद उन्होने दोस्त के तरफ मुखातिब होकर कहा 'और तुम, सुनो जरा... दोस्त की यही फिक्र है?' इतना सुनकर तो उसकी सिट्टी -पिट्टी गुम हो गई, यूं रफूचक्कर हुआ, जैसे कभी वहां था ही नही!
               इसके बाद उन्होंने मेरे पिता जी का नाम और पता पूछा। बोले, 'तुम्हारे घर पर बताना ही होगा कि क्या कारनामा कर रहे हो।' मैने चुपचाप सारा विवरण बता दिया। घर पहुंचना, तब तक पिता जी को पूरी ख़बर मिल चुकी थी। उन्होने खूब समझाया और बोले, 'जिन्दगी से बड़ा कुछ नही होता है। हमेसा एहतियात रखना चाहिए'।
               पिता जी की वो सीख नही भूला और न ही वे सज्जन! इतने वर्ष बीतने के बाद भी कभी-कभार उनकी याद आ जाती है- किस तरह उन्होने बगैर किसी स्वार्थ के मेरी जान बचाई थी। मैं भी कितना हड़बड़ा गया था कि 'शुक्रिया' कहे बिना वहां से चला आया था। अब मेरा रोम-रोम उन्हे धन्यवाद कहता है।
नाम - सौरभ कुमार
जिला-छपरा,राज्य-बिहार
एसे लोगो मे बस्ता है मेरा भारत।

अगर आप भी किसी को धन्यवाद कहना भूल गये और अब उसे याद करते है और धन्यवाद कहना चाहते है!
      तो हमे लिख भेजे ABCD Point आपके अतीथ को पहूचायेगा आपका संदेस।
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दोस्तो मेरा ये पोस्ट कैसा लगा काॅमेन्ट जरूर करना ताकि मै समझ सकू के मेरा ये पहल अच्छा है या बेकार पोस्ट पढने के लिए शुक्रिया। 

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