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3.04.2019

गुफ्तगू के आदाब और हम।


*आदाबे गुफ़्तगू*
_एक बादशाह ने ख्वाब देखा के उसके सारे दांत टूट कर गिर पड़े हैं। बादशाह ने एक मुफ़स्सिर ( ख्वाब की ताबीर बताने वाला ) को बुलवा कर उसे ख्वाब सुनाया।_
मुफ़स्सिर ने बादशाह से कहा ;
*इसकी ताबीर ये बनती है के आपके सारे घर वाले आपके सामने मरेंगे* बादशाह को बोहत गुस्सा आया। उसने मुफ़स्सिर को क़त्ल करवा दिया।
एक और मुफ़स्सिर को बुलवाया गया, बादशाह ने उसको अपना ख्वाब सुनाया,
मुफ़स्सिर ने कहा ; *"बादशाह सलामत आपको मुबारक हो, ख्वाब की ताबीर ये बनती है के आप माशा अल्लाह अपने घर वालों में सब से लंबी उम्र पाएंगे।"*
बादशाह ने खुश होकर मुफ़स्सिर को इनाम ओ इकराम देकर रुखसत किया।
क्या इस बात का यही मतलब नही बनता के अगर बादशाह अपने घर वालों में सब से लंबी उम्र पाएगा तो उसके सारे घर वाले उसके सामने ही वफात पाएंगे ??
जी ! मतलब तो यही बनता है मगर बात बात में और अलफ़ाज़ में फ़र्क़ है।
*आपका बोला गया एक एक लफ्ज़ किसी दूसरे के लिए मरहम भी बन सकता है और ज़ख्म भी दे सकता है। अख्तियार आपके हाथ मे है ."*
_लिहाज़ा सोच समझ कर बोलें।_
आप भी लिख भेजिए एसे ही आदर्श, आदाबे गुफ़्तगू या अच्छी बिचार जो लोगो को ईनसानीयत के साचे मे ढाल दे।
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