1) सत्य मैं इतिहास के पन्नों में कुछ घटनाओं को दर्ज कर रहा हूं जिससे आने वाली पीढ़ियां सबक होगी या उनके लिए कमसे-कम एक रोचक कहानि का मजा तो जरूर मिलेगा।
2) मोबलिन्चिग- मोबलिन्चिग या इसे कह लिजिए भीरतंत्र यह शब्द 2014 से पहले ये शब्द मैंने सुना ही नहीं था। लेकिन आज बच्चा-बच्चा लिनचिंग को समझ चुका है।
3) पत्रकारिता- लगभग 5-6 वर्षों से पहले पत्रकारिता का उदाहरण निशपक्क्ष संवाद करने वाले को कहा जाता था। लेकिन अब वक्त के साथ बदल चुका है पत्रकारिता से पत्तरकारिता निशपक्क्ष से पक्क्षकार और पत्रकार से प्रचारक बनचुके है।
और कहीं ना कहीं से हमसब भी जिम्मेदार है इस पत्तर कारिता मे। क्योंकि हम सबको समाचार देखने से ज्यादा मजा आता है Comedy देखने में TV Channels वाले को तो सिर्फ की आर पी से मतलब है।
Tv channels कुछ गीने चुने लोग ही पत्रकार बचे हैं जैसे- रविस कुमार, अभीसार शर्मा, अजीत अंजुम, पुन्य प्रसांत वाजपई इत्यादि। इसके अलावा सब के सब पत्तर कार है।
4) अंग्रेजों ने जिससे लोहा माना- भारत का सबसे वह ताकतवर हथियार जिससे अंग्रेजों ने लोहा माना आज उसे भारतीय मिडिया दरिंदगी से चिथरे उड़ा रही है।
और अपने असल मकसद से भटक कर लोगों को भटका रही है। वो अब सेल्समैन की तरह अपना एक्टिविटी दिखा रही है। ऐसा लगने लगा है कि मिडिया का काम अब प्रोडाक्ट, पार्टी या धर्म के प्रचार या तुलना करने में लगी है ऐसा लग रहा है जैसे की पत्रकारिता का उदाहरण बदल चुका है। लोगों में नफ़रत का पैगाम देना ही पत्रकारिता है ।
5) सोशल मीडिया- सोशल मीडिया तो मेरे नजर में ऐसा हो गया है। जैसे खेल के मैदान में रखा हुआ सार्वजनिक तबला जिसको जब मन करे जैसा मन करें जितना मन करें बजा डालता है। ना उस पर कोई निगहबान है और ना पहरेदार। लिखकर बोलकर शेयर के माध्यम से इन लोगों को एक दूसरे को अपना नजरिया दिखाते हं। लोग यह दिखाना चाहते हैं कि कौन कितना पानी में है। हाला के सब के सब उसी पानी में है जो सबको डूब आने वाली है।
ट्विटर पर कुछ सभ्य लोग हैं इसलिए यह यानी tweeter कुछ ठीक है।
6) शब्दकोश- कुछ वर्षों से समाज में कुछ ऐसे शब्द समाज में प्रचलित हुआ हैं। जिसका इस्तेमाल करके, मीडिया वाले का पेट भरता है। अगर वह लोग इस शब्द को हटा दें तो उनका कोई समाचार पत्र ही नहीं बनता। क्योंकि जो उनको बोलना चाहिए वह बोल नहीं सकते। इसलिए उन्होंने कुछ शब्दों के सहारे। जैसे- हिंदू , मुस्लिम , मंदिर मस्जिद , हिंदुस्तान , पाकिस्तान गोदी मीडिया , चाटुकार , जिहादी , तबलीगी जमात , इत्यादि शब्दो का सहारा लिया।
इतना ही नहीं कुछ ऐसे शब्द जिसको आज तक ना किसी ने सुना था और ना कल्पना किया था वैसे शब्द का भी इस्तेमाल किया गया। जैसे- लव जिहाद और करोना जिहाद।
मीडिया द्वारा इन शब्दों का धड़ल्ले से इस्तेमाल करने पर। जो हुआ वो इतिहास में सबसे भयावह और डरावना है। जिसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ मीडिया या सोशियल मिडिया है।
Bahut khub
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