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8.15.2019

क्रांतिकारी असफाकउल्लाह खान का आखरी पत्र बहन के नाम।

बख्शी को बता देना कि मैंने आखिरी सांस ली, पूरे सोच-समझकर और खुश मन से।

पूरा पत्र अंग्रेजी में लिखा है।
हिन्दूस्तान टाईम के मोताबिक शहीद अशफ़ाक़ुल्ला खान का यह पत्र लखनऊ के बख्शी परिवार ने अब तक संभालकर रखा है। यह खत बख्शी परिवार ने शाहजहांपुर में शहीद अशफाक के पौत्र को भेजा है।

काकोरी कांड को अंजाम देने के बाद शहीद अशफाक को फैजाबाद की जेल की सींखचों के पीछे डाल दिया गया था। उन्हें 19 दिसम्बर 1927 को फांसी की सजा सुनाई गई। 16 दिसम्बर को अशफाक ने अपने साथी शचींद्रनाथ बख्शी की बहन को पत्र लिखा। जो इस प्रकार था।

प्यारी दीदी....
मैं दूसरी दुनिया में जा रहा हूं, जहां पर सांसरिक कष्ठ नहीं होंगे। वहां संघर्ष भी नहीं करना पड़ेगा एक बेहतर जिंदगी के लिए। मैं मरने नहीं जा रहा हूं, लेकिन हमेश के लिए जीने जा रहा है। उन्होंने आगे लिखा कि कामरेड बख्शी के छूटने के बाद मेरा स्नेह देना। उनहें बता देना कि मैंने आखिरी सांस ली, पूरे सोच-समझकर और खुश मन से। शहीद अशफाक ने शचींद्रनाथ बख्शी की बहन को अंतिम बार मिलने के लिए भी पत्र के माध्यम से बुलाया था। लिखा था कि उन्हें फांसी दी जाएगी। उससे पहले मौका मिले तो आखिरी बार मिलने आ जाना। आप सभी के साथ ईश्वर है। मैं एक हीरो की तरह मरने जा रहा हूं...खुश रहो।

उस अंग्रेजी भाषा में लिखी खत की लाइनें है, जो अमर शहीद अशफाक उल्ला खां ने फैजाबाद जेल से काकोरी एक्शन के साथी शचींद्रनाथ बख्शी की बहन को लिखा था।


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