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12.27.2019





तजल्लियों का नया दायरा बनाने में 
मेरे चिराग लगे हैं हवा बनाने में 

अड़े थे ज़िद पे के सूरज बनाके छोड़ेंगे 
पसीने छूट गए एक दीया बनाने में 

मेरी निगाह में वो शख्स आदमी भी नहीं 
जिसे लगा है ज़माना खुदा बनाने में 

अभी इन्हें न परेशान करो मसीहाओं 
मरीज़ उलझे हुए हैं दवा बनाने में 

तमाम उम्र मुझे दर-ब-दर जो करते रहे
लगे हुए हैं मेरा मक़बरा बनाने में

ये चंद लोग जो बस्ती में सबसे अच्छे है
इन्ही का हाथ है मुझको बुरा बनाने बनाने।


                                          राहत इंदौरी

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